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Showing posts from April, 2013

History of Karanwas

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कर्णक्षेत्र कर्णवास :-  गायन्ति देवाः किलागीतकानिधन्यास्तुते भारतभूमि भागे ।      स्वर्गा पवार्गा स्पद मार्ग भूते भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात ।       देवभूमि  भारत में, प्रभु लीलावतार स्थल उत्तरप्रदेश  में मेरठ मंडल के बुलंदशहर जनपद की डिबाई तहसील में उत्तर रेलवे की बरेली लाइन पर राजघाट नरोरा स्टेशन से ४ किलोमीटर दूर पश्चिम में पुण्य सलिला सुरसरि के पवित्र दक्षिण पार्श्व पर स्थित सिद्ध तीर्थ स्थल कर्णवास है ।  प्रकृति की सुरम्य एकांत गोदासी पवित्र इस तपोभूमि की सिद्धता आज भी सुविस्तृत सघन अम्रइयो के मध्य स्थित आश्रमों के रूम में अक्षुण है । यहाँ पुण्य सलिल गंगा का विस्तार है साथ ही दानवीर कर्ण की आराध्या माँ कल्याणी का मंदिर है । इस तीर्थ की सिद्धमाता के कारण ही यहाँ प्रतिवर्ष उत्तरप्रदेह के अतिरिक्त वड़ोदा, इंदौर, ग्वालियर, उदयपुर, भरतपुर, भुज, गुजरात, मुंबई, कलकत्ता आदि के श्रद्धालु परंपरा से आते है और यहाँ माँ की चमत्कारिक शक्तिमत्ता - सिद्धिमत्ता की जय कार करते है । कर्णवास पौराणिक तीर्थ है अनेक ग्रंथो एवं अध्यात्मिल प्रसंगों में इसका उल्लेख मिलता है। भगवान श्री कृष्णा के

Kalyani Devi Mandir Karanwas

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पांडवो के समय का कर्णवास स्थित माँ कल्याणी देवी मंदिर । हर साल नवरात्रों में लाखो स्रध्धालू दरसन के लिए यहाँ आते है और माता कल्याणी के दरसन कर अपनी इच्छा की प्राप्ति करते है । माँ कल्याणी का मंदिर ही कर्णवास  की प्रसिद्धि का प्रमुख कारण है । किनती जगदम्बा कल्याणी का का मंदिर कितना प्राचीन है इस विषय में कुछ भी कहना कठिन है आज से लगभग ७० बर्ष पहले यहाँ पर छोटी ईटो से बना प्राचीन मंदिर था । यह मंदिर लगभग ४०० बर्ष पूर्व डोडिया खेडा के राव चंद्रभानु  सिंह के पुत्र कबीर शाह द्वारा बनवाए गए कच्चे किले के अवशेषो के बिच बनवाया गया था । उससे पहले भी यहाँ मंदिर था उसके भी उल्लेख मिलते है । मंदिर अपने प्राचीन रूप से छोटा अवश्य था किन्तु देश के दूरस्थ क्षेत्रो से दर्शनार्थी श्रद्धालु भक्त यहाँ आते थे । आज से लगभग ७० बर्ष पहले हाथरस के सेठ बागला यहाँ माँ के दर्शन के लिए आये, वे निःसंतान थे अतः उन्होंने माँ से प्राथना की की अगर मेरे घर में संतान हो जाए तो माँ का अच्छा सा मंदिर बनवाऊंगा यहाँ से जाने के १ वर्ष के अन्दर उनके यहाँ पुत्र का जन्म हुआ इसी उपलक्ष्य में उन्होंने कल्याणी देवी का वर्त्तमान म